Wednesday, August 23, 2017

व्यंग्य-विनोद की चाशनी में डुबा कर परोसी गयीं पुरानी कहानियाँ( पुरानी कहानियाँ नये अंदाज़ में)सीरीज़

2) यक्ष प्रश्न

   
            अब पांडवों के बारह वर्ष के वनवास की अवधि समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष रह गये थे.एक दिन पांचों पांडव एक ब्राह्मण की सहायता करते-करते जंगल में बहुत दूर निकल गये थे. अब वे सब काफी थक गये थे और उनको जोरों की प्यास लग रही थी.नकुल ने पेड़ पर चढ़कर देखा तो निकट में एक जलाशय दिखा.युधिष्ठिर के आदेश पर जल लाने हेतु नकुल शीघ्रता से सरोवर की ओर बढ़े.
           अभी नकुल जलाशय के समीप पहुँचे ही थे कि उन्हें एक आवाज सुनाई दी :
----"माद्री पुत्र ,यह सरोवर मेरे द्वारा रक्षित है.पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो फिर जल पियो.अन्यथा तुम्हारी मृत्यु निश्चित है."
             नकुल की अवस्था आज के भारतीय मतदाताओं की तरह हो रही थी जो सब कुछ जानते -बूझते हुए भी समाज में जहर घोलने वालों, दूसरों के भ्रष्टाचार का भूत दिखा कर अपनी तिजोरियां भरने वालों,सामाजिक न्याय और महिला सशक्तीकरण के ढकोसलों पर झूठ का महल खड़ा करने वालों को वोट देने का पाप करने पर मजबूर हैं-
प्यास लगी थी गजब की….
मगर पानी में जहर था....
पीते तो मर जाते,
और ना पीते तो भी मर जाते.
              तृष्णा से व्यथित नकुल ने उस आवाज की अनसुनी कर के सरोवर से जल पी लिया. जल पीते ही वह प्राणहीन हो कर सरोवर तट पर गिर गया.
               बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद,युधिष्ठिर ने सहदेव को नकुल की सुध लेने के लिए भेजा.उस अदृष्य ने सहदेव को भी वैसे ही आवाज दे कर प्रश्नों के उत्तर देने के लिए रोका.सहदेव ज्योतिष के महान विद्वान बताये गये हैं.यह भी कहा गया है कि वह भविष्यदृष्टा थे.किन्तु सहदेव ने भी उस आवाज की अनदेखी की और जल पी कर अपने प्राण त्याग दिये. आज ज्योतिष विद्या राजदरबारों से निकल कर दैनिक अखबारों के पन्नों और टी.वी के पर्दे तक तो जरूर पहुँच गयी है किन्तु उसका फलित पक्ष अब भी महाभारत कालीन ही है.
                सहदेव के नहीं आने पर ,अर्जुन और भीम को भी एक-एक कर भेजा गया.यह दोनों भाई भी आवाज की अनसुनी करके उसी सरोवर के तट पर मृतवत गिर पड़े.बहुत देर की प्रतीक्षा के बाद युधिष्ठिर स्वयँ अपने भाइयों की खोज में निकल पड़े.कुछ दूर जाने के पश्चात उन्होंने सरोवर तट पर अपने चारों भाइयों को मृत पाया.
युधिष्ठिर से भी उस अदृष्य ने वही कहा जो उसने अन्य पांडवों से कहा था.युधिष्ठिर ने पूछा कि तुम कौन हो ,और इस तरह मेरे भाइयों को तुमने क्यों मार दिया है?अदृष्य ने उत्तर दिया--"मैं यक्ष हूँ,मेरे प्रश्नों की अवहेलना करने के कारण तुम्हारे भाई मृत्यु को प्राप्त हुए हैं.तुम मेरे प्रश्नों के उत्तर दो तो मैं तुम्हारे किसी एक भाई को जीवित कर सकता हूँ."
               युधिष्ठिर की स्वीकारोक्ति पर पर यक्ष ने प्रश्न पूछने आरम्भ किये :-
यक्ष उवाच : यश लाभ प्राप्त करने का सरल उपाय क्या है?
युधिष्ठिर उवाच:मीडिया पर आपकी मजबूत पकड़.
यक्ष उवाच :हवा से तेज गति किसकी है ?
युधिष्ठिर उवाच : वायरल हुई फेक न्यूज़.
यक्ष उवाच : विदेश जाने वाले का साथी कौन ?
युधिष्ठिर उवाच :पत्रकार.
यक्ष उवाच : कौन सबसे अधिक प्रसन्न है?
युधिष्ठिर : पाला बदल कर आया राजनीतिज्ञ.
यक्ष उवाच :संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
युधिष्ठिर उवाच : बार-बार पीछे मुड़ कर देखने वाले ,देश को आगे ले जा रहे हैं.
यक्ष उवाच : और आज-कल क्या चल रहा है?
युधिष्ठिर उवाच : पतली टी.वी और पतली बीवी का चलन जोरों पर है.
                इस प्रकार युधिष्ठिर के उत्तर सुन कर यक्ष बहुत प्रसन्न हुआ और थोड़ी बहुत ना-नुकुर के बाद उसने चारों मृत पांडवों को पुनर्जीवित कर दिया.इस प्रकार धर्मराज युधिष्ठिर के कारण पांचो पांडव उस जलाशय के जल से अपनी तृष्णा संतुष्ट कर सकने में सफल हुए.

पुछल्ला :
--------
               " प्रश्नोत्तरी के कार्यक्रम के पश्चात यक्ष समस्त पांडवों के समक्ष प्रकट हो गया.फिर उसने युधिष्ठिर से करवद्ध प्रार्थना की- "आप ही हस्तिनापुर के भावी सम्राट हैं,मेरा नाम पनामा पेपर्स में आ रहा है,मुझे अभयदान दें......".

     

            

            

2 comments:

  1. A sincere request that please don't comment anything related to Hindu religious matters.
    Just think that can you make such comments about any other religions?

    ReplyDelete

Where is Lokpal ?