Sunday, October 8, 2017

"रेल यात्रा से जेल यात्रा तक "

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  इससे पूर्व की कहानी आप दिनांक 13 सितंबर और 22सितंबर की पोस्टों में  "जागो सोने वालों, सुनो मेरी कहानी " और "डॉन क्विगजोट की रेल यात्रा " शीर्षकों के अंतर्गत इसी ब्लॉग में पढ़ चुके हैं, अब आगे की कहानी.....

               इस धर-पकड़  की गहमागहमी  की  घनघोर उपेक्षा  करते हुए रेल फिर आगे बढ़ ली. किसी तरह वह चोर, भुक्तभोगी  यात्री और हमारा नादान बहादुर दोस्त पुन:इसी बोगी में चढ़ लिए. अब बोगी का दृश्य पल भर में बदल गया था.  हर ऐरा-गैरा-नत्थूखैरा, न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की  भूमिकायें  एक साथ करने पर उतारू था. भुक्तभोगी  यात्री जिसकी भूमिका  इस प्रकरण में  प्रमुख  थी अब नेपथ्य  में चली गयी थी. लेकिन हमारा दोस्त हीरो बन गया था,सभी उसकी तारीफ़ कर रहे थे.इसी बीच लैपटॉप और स्मार्ट फोन की दुनिया में खोये किसी समझदार यात्री ने संक्षिप्त में पूरी घटना बताते हुए  रेलमंत्री को ट्वीट कर दिया,फलस्वरूप रेल यात्रियों की सुरक्षा हेतु तैनात आरक्षी दल थोड़ी ही देर में हाजिर हो गया.

                       अब तक यह दल कहाँ रहा होगा , यह कोई  गूढ़ रहस्य नहीं है.अनारक्षित बोगियाों और उनके  मजबूर यात्रियों का ये आरक्षी दल कितना खयाल रखते हैं,ये किसी से छुपा नहीं है. पैसे वसूली की लूट में लि प्त  इस दल को जब तुरंत इस बोगी में पहुँचने का आदेश मिला तो स्वा भाविक है कि उनके नित्य कर्म में बाधा पहुँची  और  वह खीझते हुए  इस बोगी  तक आये थे.लेकिन चोर को सामने पा और  उसके रंगे हाथों पकड़े जाने की कथा सुन कर उनकी कर्तव्य निष्ठा जाग उठी और उन्होंने चोर की यात्रियों को भीड़ से मुक्ति कराई .चोर भीड़ का क्रोधभाजन हुआ था अतएव घबराया हुआ था.अब इन आरक्षियों के संरक्षण में आने पर उसने भी चैन की सांस ली.सारा मामला आरक्षियों ने अपने नियंत्रण में ले लिया था ,नादान भुक्त भोगी यात्री जिसकी अटैची  लेकर भागने की असफल कोशिश उस चोर ने की थी,अपने मामले की इस परिणति पर न केवल खुश था वरन् अपने को कृतार्थ पा रहा था.उसने सभी आरक्षियों के लिये चाय का आर्डर दे दिया,चोर को भी चाय पिलायी गयी .किन्तु अब सभी हमारे दोस्त डॉन क्विगजोट को भूलते जा रहे थे. सम्पूर्ण कथानक एक नये अंदाज में फिर से लिखा जा रहा था.

                                   मुंशीनुमा आरक्षी एक रजिस्टर में पूरा घटनाक्रम  दर्ज कर रहा था .गजब की कल्पना शक्ति ,अतुलनीय स्क्रिप्ट लेखन, वीर रस और पुलिसिया साहित्य का यह एक अनुपम उदाहरण था.क्राइम रिपोर्टिंग  आधारित कार्यक्रम प्रसारित करने वाले टी.वी.चैनलों की रोजी-रोटी इन्हीं वृत्तांतों पर  निर्भर है.जिस तरह नया घटना क्रम अब बताया जा रहा था,उसमें आरक्षी कर्मियों की  बहादुरी और कर्तव्य परायणता की आरती बड़ी निष्ठा पूर्वक गायी गयी थी.साधारण चोरी या उठाईगिरी की घटना ने अब एक बड़ी डकैती का चोला ओढ़ लिया था  जिसे आरक्षी दल की बहादुरी ने निष्फल कर दिया था.एक डकैत कुछ असलहा के साथ पकड़ लिया गया था बाकी साथी जान बचा कर भाग  निकलने में सफल रहे थे ,ऐसा कुछ उस रजिस्टर में लिखा जा रहा था. भुक्तभोगी यात्री किंकर्तव्यविमूढ़ टुकुर -टुकुर आरक्षी दल को ताक रहा था और बोगी के शेष यात्रियों को तो जैसे साँप ही सूँघ गया था.हमारे दोस्त डॉन क्विगजोट को भी इस घटना क्रम ने चकरा दिया.

                                       तभी टी.सी और गार्ड ने  बोगी में प्रवेश कर मुंगेरी लाल के हसीन सपनों  को चूर-चूर कर दिया.उन्होंने आरक्षी दल को सूचित किया कि किसी जागरूक यात्री ने पहले ही मंत्रालय को पूरी घटना की जानकारी दे रखी है और उन्हीं के सीधे निर्देश पर वे दोनों यहाँ आये हैं. लीपापोती का प्रयास सब के लिये मंहगा साबित हो सकता है.अब फिर  अल्फ्रेड हिचकाक की फिल्मों की भाँति यहाँ घटनाक्रम ने एक नया मोड़ लिया. आरक्षी दल ने चोर और भुक्तभोगी यात्री दोनों से एक साथ पूछताँछ प्रारंभ की. कहाँ से आ रहे हो ? कहाँ जा रहे हो ?क्या नाम है? कहाँ रहते हो?...आदि,आदि.चोर एक अन्य टी.सी. ,जो इस समय छुट्टी पर चल रहे थे,का दामाद था .आज कल बेरोजगार था और किसी नौकरी का इंटरव्यू देने दिल्ली जा रहा था.टिकट उसने लिया नहीं था - रेल तो घर की ही थी.

गार्ड साहब ने उसके कथन की पुष्टि टी.सी.महोदय से,जो उनके पुराने सहयोगी थे, मोबाइल पर वार्तालाप कर तुरंत कर ली.अब सबका ध्यान भुक्तभोगी यात्री पर केंद्रित हो गया.वह अब बगलें झांक रहा था.प्रश्नों के उत्तर भी संदेहास्पद थे.हद तो तब हो गयी जब उसने अटैची को अपना मानने से साफ इनकार कर दिया.उसका कहना था कि वह भी हमारे दोस्त की तरह चोर -चोर का शोर सुन कर चोर को पकड़ने दौड़ा था.यह अटैची किसकी है? उसे नहीं मालूम.अटैची के अंदर क्या है? वह कैसे बता सकता है? खैर, अटैची बल पूर्वक खोली गयी.वह काफी भारी थी और ऊपर तक ठसाठस गांजे से भरी थी.अब क्या था -चोर को बाइज्जत बरी कर, हमारे दोस्त और उस यात्री को हिरासत में लेकर आरक्षी दल अगले स्टेशन पर उतर गया.

  क्रमश:

आगे की कहानी अागामी पोस्ट में..

                                   
                              

            

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