Sunday, October 22, 2017

5)रेखा छोटी कैसे करें ?

व्यंग्य-विनोद की चाशनी में डुबाकर परोसी गयीं पुरानी कहानियाँ (पुरानी कहानियाँ नये अंदाज़ में)

सीरीज़

                         

                        एक दिन बादशाह अकबर ने अपने मंत्रियों के सामने एक अजीब सी पहेली प्रस्तुत की :


                                           एक रेखा खींची गई और बादशाह ने पूछा क्या आप में से कोई इस रेखा को बिना हाथ लगाये छोटा कर सकता है ?      आज भी वक्त-बेवक्त बादशाहों के सामने यही  पहेली आ खड़ी होती है.    वह पहले से जानते हैं कि उनकी खींची स्वयँ की रेखा अभी छोटी ही है लेकिन उन्हें दुश्मनों की रेखा कैसे छोटी की जाये कि न्यायालयऔर चुनाव आयोग हाथ न लगा सकें,इसकी चिन्ता अधिक है.

बादशाह  अकबर के मंत्री आपस में बात करने लगे कि इस रेखा को बिना हाथ लगाये कैसे छोटा किया जा सकता है.आज बादशाह को क्या हो गया है ? संयोग से उसी वक्त बीरबल भी वहाँ आ गये और कहने लगे कि जहाँपनाह,मैं यह कर सकता हूँ.बादशाह ने तुरंत बीरबल को अनुमति दे दी-"ठीक है बीरबल ,अब इस रेखा को छोटा कर के दिखाओ !"

बादशाह की खींची रेखा के समीप बीरबल ने एक उससे बड़ी रेखा खींच दी और कहा-"देखिये जनाब,आप की रेखा छोटी हो गई है."बादशाह अकबर यह देख कर बहुत खुश हुए और बोले,"बहुत अच्छे बीरबल,तुम्हारी चतुरता पर हमें नाज है."

             आज के बीरबलों पर भी उनके बादशाहों को नाज है.उनकी सलाह है कि दूसरी बड़ी रेखा  खींचने में तो बड़े झंझट हैं,क्यों न पूरे पटल को ही साफ कर  रेखा का अस्तित्व ही मिटा दिया जाये,या फिर पटल को इतना गंदा कर दिया जाये कि लोग रेखा को देख कर नाक-भौं सिकोड़ने लगें.

पुछल्ला :


मेरी फितरत में खामोशी नहीं है..

मैं भी हंगामा हूँ, लो अब झेलो मुझे.

बादशाह के दुश्मन भी उसी के खेल में शामिल हो गये हैं,अपने-अपने बीरबलों की सलाह पर बादशाह की रेखायें गंदी करने के जुगाड़ में दिन-रात लगे हुए हैं.

    मेरे घर में लगी है,तो तेरे घर में क्यों नहीं ?

      कैसे भी लगे आग,लेकिन आग लगनी चाहिए !

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